अकसर परिंदे भूल जाते है।
अपने आप को,
भूल जाते है अपने बाप को।
दो चार का झुंड बना के,
खुद को सिकरी समझने लगते है।
गलत फहमी के चक्कर में,
खुद बाज का शिकार बन जाते है।

अकसर परिंदे भूल जाते है।
अपने आप को,
भूल जाते है अपने बाप को।
दो चार का झुंड बना के,
खुद को सिकरी समझने लगते है।
गलत फहमी के चक्कर में,
खुद बाज का शिकार बन जाते है।
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